विभाग का दीर्घावधिक विजन भारत को वर्ष 2020 तक विश्व व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाना है और भारत के बढ़ते हुए महत्व के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठनों में नेतृत्व की भूमिका निभाई है। मध्यम अवधि विजन वैश्विक व्यापार में भारत के हिस्से को दोगुना करने के दीर्घ-अवधि उद्देश्य के साथ वर्ष 2008-09 के स्तर के ऊपर वर्ष 2017-18 तक वस्तुओं एवं सेवाओं में भारत के निर्यातों को दोगुना करना है।
इस संदर्भ में अपनाये जा रहे नीतिगत उपकरण है: लक्षित पण्यवस्तु और मध्यम अवधि में देश-वार कार्यनीति तथा कार्यनीति योजना/विजन और अन्तत: विदेश व्यापार नीति।
विभाग विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) तैयार करता है, कार्यान्वित करता है और इसकी निगरानी करता है जो निर्यातों एवं व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अनुपालन हेतु नीति एवं कार्यनीति का मूलभूत ढॉंचा प्रदान करता है। व्यापार नीति घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दोनों में उभरते हुए आर्थिक परिदृश्य का ध्यान रखने के लिए आवश्यक परिवर्तन सम्मिलित करने हेतु समय-समय पर समीक्षा की जाती है। इसके अलावा, विभाग को बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंधो, विशेष आर्थिक क्षेत्रों, राज्य व्यापार, निर्यात संवर्धन एवं व्यापार सुगमीकरण, और कुछ निर्यातोन्मुखी उद्योगों एवं पण्यवस्तुओं के विकास तथा विनियमन से संबंधित जिम्मेवारियॉं भी सौंपी गयी है।
वाणिज्य विभाग के मुखिया एक सचिव हैं जिनकी सहायता एक विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी), एक विशेष सचिव, एक विशेष सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, तीन अपर सचिव, दो अपर सचिव रैंक के अधिकारी, 13 संयुक्त सचिव एवं संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी तथा अनेक अन्य वरिष्ठ अधिकारी करते हैं।
वाणिज्य विभाग में 10 प्रधान प्रकार्यात्मक प्रभाग हैं जो इस प्रकार हैं :
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति प्रभाग
- विदेश व्यापार क्षेत्रीय प्रभाग
- निर्यात उत्पाद प्रभाग
- निर्यात उद्योग प्रभाग
- निर्यात सेवा प्रभाग
- आर्थिक प्रभाग
- प्रशासन एवं सामान्य सेवा प्रभाग वित्त प्रभाग
- आपूर्ति प्रभाग
- लॉजिस्टिक्स प्रभाग
विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन विभिन्न कार्यालय/संगठन निम्नलिखित है: ( क ) दो संबद्ध कार्यालय , ( ख ) दस अधीनस्थ कार्यालय, ( ग ) दस स्वायत्त निकाय, ( घ ) पॉंच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, ( ड.) सलाहकार निकाय, ( च) चौदह निर्यात संवर्धन परिषदें और ( छ) पॉंच अन्य संगठन