विदेश व्यापार महानिदेशालय
(क) संबद्ध कार्यालय
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डी जी एफ टी)
उद्योग भवन, नई दिल्ली – 110 107
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डी जी एफ टी) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है तथा विदेश व्यापार महानिदेशक इसके अध्यक्ष हैं। 1991 में जब इसकी शुरूआत हुई है, जब सरकार की आर्थिक नीतियों में उदारीकरण शुरू हुआ, यह संगठन विनियमन के माध्यम से विदेश व्यापार को विनियमित करने एवं बढ़ावा देने के काम में मूल रूप से लगा हुआ है। उदारीकरण एवं भूमंडलीकरण तथा निर्यात बढ़ाने के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखकर तब से विदेश व्यापार महानिदेशालय को सूत्रधार की भूमिका सौंपी गई है। देश के हितों को ध्यान में रखकर आयात / निर्यात के नियंत्रण / निषेध के स्थान पर निर्यात / आयात के संवर्धन एवं सुगमता पर बल दिया गया।
संगठनात्मक ढांचा
नई दिल्ली में अपने मुख्यालय के साथ इस निदेशालय के मुखिया विदेश व्यापार महानिदेशक हैं। यह भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ विदेश व्यापार नीति के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। डीजीएफटी निर्यातकों को लाइसेंस भी जारी करता है तथा 36 क्षेत्रीय कार्यालयों तथा इंदौर में एक विस्तार काउंटर के नेटवर्क के माध्यम से उनकी तदनुरूपी बाध्यताओं की निगरानी करता है। क्षेत्रीय कार्यालय निम्नलिखित स्थानों पर स्थिति हैं :
क्र. सं. |
क्षेत्रीय कार्यालय |
क्र. सं. |
क्षेत्रीय कार्यालय |
1. |
अहमदाबाद |
19. |
मुरादाबाद |
2. |
अमृतसर |
20. |
मुंबई |
3. |
बेंगलुरू |
21. |
नागपुर |
4. |
भोपाल |
22. |
नई दिल्ली (सीएलए) |
5. |
चंडीगढ़ |
23. |
पणजी (गोवा) |
6. |
चेन्नई |
24. |
पानीपत |
7. |
कोयम्बटूर |
25. |
पटना |
8. |
कटक |
26. |
पुद्दुचेरी |
9. |
देहरादून |
27. |
पुणे |
10. |
गुवाहाटी |
28. |
रायपुर |
11. |
हैदराबाद |
29. |
राजकोट |
12. |
जयपुर |
30. |
शिलांग |
13. |
जम्मू |
31. |
श्रीनगर |
14. |
कानपुर |
32. |
सूरत |
15. |
एर्नाकुलम (कोचीन) |
33. |
तिरुवनंतपुरम |
16. |
कोलकाता |
34. |
वाराणसी |
17. |
लुधियाना |
35. |
विशाखापत्तनम |
18. |
मदुरै |
36. |
वडोदरा |
|
|
37. |
विजयवाड़ा |
सभी क्षेत्रीय कार्यालय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के घटनाक्रमों अर्थात डब्ल्यू टी ओ करार, उत्पत्ति नियमावली तथा पाटनरोधी मुद्दों आदि पर निर्यातकों को सहायता एवं सूचना प्रदान करते हैं ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गतिशील परिवेश में निर्यात एवं आयात संबंधी उनके निर्णयों में उन्हें मदद मिल सके।